BJP Parliamentary Party Office Secretary; National Convenor, BJP Publication Deptt.; Editor Kamal Sandesh (Hindi & English); BJP National Executive Member.

अपने 37वें स्थापना दिवस मनाते समय भाजपा जिन ऊंचाइयों को छू रही है वह अभी कुछ वर्षों पहले तक कई लोगों को असंभव सा प्रतीत होता था। वर्षों तक पार्टी के लिए अथक पसीना बहाने वालों के लिए यह यात्रा केवल शुरुआत भर है, जिसका उन्होंने स्वप्न देखा था। ‘जनता पार्टी’ के प्रयोग के असफल होने के कटु अनुभव से सीख लेकर 6 अप्रैल 1980 को नए उत्साह एवं संकल्प के साथ भाजपा का गठन हुआ। चुनौती को स्वीकार करते हुए अटलजी ने कहा था, ‘अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा’। उस समय किसने सोचा होगा कि मात्र दशक भर में यह संकल्प यथार्थ में परिणत हो जाएगा। नेतृत्व के इस आत्मविश्वास के पीछे की शक्ति उन हजारों समर्पित कार्यकर्ताओं से निकलती है, जिनका पार्टी विचारधारा पर अटूट विश्वास रहा है। जनसंघ की विरासत को अपने कंधों पर संभाले भाजपा ने कांग्रेस के एक-दलीय वर्चस्व को न केवल चुनावी मैदान में तोड़ा, बल्कि राष्ट्र के प्रति अपने अथाह समर्पण से इसे विचारधारा की चुनौती भी दी। जहां भाजपा देश को एक गौरवशाली भविष्य की ओर ले जाने को तत्पर है, वहीं विपक्ष लगातार हार पर हार झेलने को मजबूर है। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारतीय राजनीति की धारा को भाजपा के कर्मठ एवं समर्पित कार्यकर्ताओं ने मोड़ दिया है। वैचारिक प्रतिबद्धता एवं राष्ट्र के प्रति निःस्वार्थ सेवा की भावना ही भाजपा कार्यकर्ताओं की पहचान बन गई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व में देश नए जोश एवं उत्साह से तीव्र विकास की राह में बढ़ चुका है। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अनुसार यह महान भारत बनाने के सपनों के प्रति समर्पण का प्रतिफल है, जिसने नेतृत्व एवं कार्यकर्ताओं को विचारधारा के प्रति निष्ठा, अटूट संकल्प के साथ कड़े परिश्रम के लिए प्रेरित किया। एकात्म मानव दर्शन एवं अंत्योदय पार्टी के पथ प्रदर्शक सिद्धांत रहे हैं। इन सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता को ‘सबका साथ, सबका विकास’ की अवधारणा तथा सरकार की गांव, गरीब एवं किसान समर्थक नीतियों में देखा जा सकता है। युवा एवं महिला संबंधी कार्यक्रमों से समाज में एक नई ऊर्जा आयी है। क्या भारत बिना गरीब, वंचित एवं शोषितों का कल्याण किए आगे बढ़ सकता है? क्या भारत, गांव जहां हमारे देश की बहुसंख्य जनता रहती है, के विकास के बिना विकसित हो सकता है? क्या भारत, महिलाओं- जो देश की आधी आबादी है, के सशक्तिकरण के बिना प्रगति कर सकता है? युवाओं में ऊर्जा भरे बिना क्या भारत का भविष्य हो सकता है? क्या भारत, भारत हो सकता है यदि इसे अपनी ज्ञान, परंपराओं एवं बौद्धिक क्षमता पर विश्वास न हो? क्या भारत मानवता की प्रगति में योगदान दे सकता है यदि यह स्वयं विकसित एवं सुशासित न हो? ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर मोदी सरकार अभिनव योजनाओं एवं कार्यक्रमों से दे रही है तथा इनके प्रभावी कार्यान्वयन से भारत की तस्वीर बदल रही है। अब तक उपेक्षित रहे क्षेत्रों में पुनः जीवन के बीज अंकुरित हो रहे हैं तथा प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत देखरेख में जीवन का स्पंदन महसूस कर रहे हैं। निर्णायक सरकार द्वारा उठाये गए ठोस कदमों से पूरा देश व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।

भारत न केवल आदिकाल से चला आ रहा एक जीवंत सभ्यता एवं संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है, वरन एक ऐसा महान राष्ट्र है जिसका एक गौरवशाली इतिहास है। इसकी हजारों वर्ष की यात्रा विदेशी आक्रमणों, शासन एवं औपनिवेशिक सत्ता से बाधित होती रही, लेकिन इन अनगिनत आक्रमणों का प्रतिकार कर भारत न केवल पुनः खड़ा हुआ बल्कि आक्रांताओं की वैचारिक चुनौतियों को भी स्वीकार किया।

स्वतंत्रता के पश्चात् अपेक्षा यह थी कि भारत एवं भारतीयता और अधिक प्रखर होगी, पर कांग्रेस नेतृत्व इस जनाकांक्षा को समझने में असफल रही। भारतीय राष्ट्रीयता के प्राचीन आधार तथा आदिकाल से वर्तमान की निरंतरता को निरंतर अस्वीकार करने के कारण कांग्रेस की आज यह गति हुई है। कांग्रेस के लगातार नकारात्मक रुख के कारण देश की जनता ने अब यह दायित्व भाजपा के कंधों पर ने डाल दिया है और स्वामी विवेकानन्द के शब्दों में  भारत को अपनी नियति तक ले जाने की जिम्मेदारी अब भाजपा पर है। आज जब भारत अपनी चिरनिद्रा से उठ रहा है और ‘मां भारती’ विश्व गुरु के सिंहासन पर आरूढ़ होने को तत्पर है, विश्व कल्याण के उद्घोष के साथ मानवता को विभाजनकारी विचारों से मुक्त कराने का वृहत् दायित्व का भान सभी को हो रहा है। भाजपा स्थापना दिवस पर हर कार्यकर्ता को उन उच्च लक्ष्यों के प्रति सजग हो राष्ट्रवाद, विकास एवं सुशासन के प्रति कृत-संकल्पित होना पड़ेगा।

                                                                                                                                                        shivshakti@kamalsandesh.org

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